बिटिया के शहर यानी बनारस में इस समय कडाके की ठंड पड रही है और पंखुरी इस मौसम का पूरा आनंद ले रहीं हैं. पिछले साल तो इस समय वो बस गोद में ही रहा करती थीं और उनकी सारी शरारतें बिस्तर की परिधि तक ही सीमित रहती थीं. बहुत छोटी जो थीं... लेकिन इस बार तो वो हर मुमकिन तरीके से सर्दियों का मज़ा ले रही हैं घर में भी और बाहर भी... ! इस मौसम में बाबा अक्सर मटर लेकर आ जाते हैं. खूब सारी मटर... एक किलो-दो किलो-पाँच किलो... और फिर बनती है मटर की पूडी, चूडा-मटर, मटर-पनीर, मटर की भुजिया... आ गया न मुँह में पानी.... सर्दी के मौसम का यही तो मज़ा है. लेकिन बिटिया को ये सारी डिशेज़ खाने में मज़ा नही आता, उनका तो आनंद है मटर की फली छिलवाने में... अरे भाई इतनी सारी मटर अकेले कोई भी कैसे छील सकता है ? इसलिये पंखुरी मटर छीलने में सबकी खूब मनोयोग से मदद करती हैं. अब वो मटर कितनी छीलती हैं, ये मत पूछिये..., बस इतना जान लीजिये कि अब घर में सबने मान लिया है कि बिना पंखुरी बेटी की मदद लिये मटर छीलना एकदम ही असंभव काम है ( क्योंकि बिना अपनी मदद दिये, वो किसी को मटर छीलने देगीं तब न ..... हा -हा-हा ) !
मटर छीलते समय बिटिया की तन्मयता आप खुद ही देख लीजिये... हाथ कंगन को आरसी क्या !!!
देखा आपने ...बिटिया ने कितनी सारी मटर छील डाली... अगर आपका मन भी मटर की डिशेज़ खाने का कर रहा हो तो फ़टाफ़ट बिटिया के घर पहुँच जाइये !
अरे वाह बेटू जी ! आप ने तो हमारी शरारतों को याद दिला दिया :)
ReplyDeleteGod Bless You!
Wah... khoob kaam ho raha hai pankhuri..... sweet photos...
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