हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Monday, January 31, 2011

बेटी , अपने चाचू के साथ ... !

सब लोगों का कहना है कि पंखुरी बेटी एकदम अपने चाचू पर गयी हैं. उन जैसी लगती हैं . वैसी ही सूरत, वैसी ही दँतुलियां (ही-ही-ही).... ! जब चाचू छोटे बच्चे थे तो वो पंखुरी जैसे ही लगते थे... आप भी देखिये और बताइये कि क्या सच्ची-मुच्ची...............



Saturday, January 22, 2011

पंखुरी सीख रही है :) - (एक)

जी हाँ, पंखुरी सीख रही है रोज़, लगातार ... और सीख रहे हैं हम भी...,अरे भई.... उनकी बात समझने के लिये हमें भी तो सीखना पढता है न.......! अब बिटिया सुबह सबके जाने के बाद बताती हैं "बुआ औपिचऽऽ" , "तातू औपिचऽऽ", "बाबा औपिचऽऽ" मतलब सब office गये.
शाम को सबके लौटने पर, पहले अंदर से या खिडकी पर आ कर पूछती हैं     " तोन एऽऽऽ" और फिर खुश होकर बताती हैं " पापा आग्गीऽऽऽ" , "तातू आग्गीऽऽऽ" , "बाबा आग्गीऽऽऽ".
बिटिया के घर के सामने एक छोटी सी दुकान है मगर उनकी सारी खरीददारी वहीं से होती है. दुकान पर एक लडका बैठता है जिसका नाम अभय है... तो बेटी सुबह और शाम पहले अपनी फ़रमाइश पेश करती हैं      " अब्बे तौपीऽऽऽ" फिर पापा, चाचू,बाबा, बुआ जो भी हो, उसके साथ वहाँ जाती हैं और अभय की दुकान से टाफ़ी खरीदती हैं .उन्हें सिर्फ़ जेम्स पसंद है ये बात अभय को पता है फिर भी अगर दूसरी टाफ़ी दी जाए तो पंखुरी साफ़ कहती हैं "नईंऽऽ". हैं न बढिया बात...
इस बार की पोस्ट में बेटी की अलग-अलग मूड की फ़ोटोज़... जिनमें उनके लगातार सीखने की कहानी भी छुपी है, आप भी देखिये-----
अपने पाँव पर खडा होने की कोशिश...
चाभी खाई नहीं जाती बच्चे...
बीस दिसम्बर २००९... बेटी का फ़र्स्ट बड्डे...
हमारी गोलगप्पी ऽऽऽऽऽ
पंखुरी - द म्यूज़िशियन...
ऊफ़ऽऽऽऽऽ गर्मी
बनारसी गमछा...
जब पहले-पहले खाना खुद खाना सीखा...
पहले-पहले पानी पीना....
गाडी स्टार्ट....
ये हेल्मेट है भाई....
छुप-छुप खडे हो , ज़रूर कोई बात है...है न ऽऽऽऽ
आइसअक्रीम पार्लर में आ कर तो बडा कन्फ़्यूज़न है....
कि कौन सा फ़्लेवर खाया जाए...
ये फ़ोटो बेटी के फ़र्स्ट बड्डे की सुबह की, जब सबने बिटिया को पहला जन्मदिन विश किया..., बेटी की स्माइल तो देखिये....!



 

Wednesday, January 19, 2011

पंखुरी और ओइ ऽऽऽ (यानी चिडिया) !



पंखुरी बेटी की डिक्शनरी अगर आपने पढी है तो आपको पता ही होगा कि वो चिडिया को ओइ ऽऽऽ कहती हैं. उन्होंने पिछ्ले साल पहली बार सारनाथ में बडी वाली चिडिया (बगुले / बतख) देखी तो उनकी आवाज़ सुन कर उनका नाम ओइ रख दिया. अभी वही नाम चल रहा है. पंखुरी ने अभी घर के बगल में रहने वाली ओइ ऽऽऽ (तोता)को खूब पास से देखने और खुश होने का काम सीखा है. आप भी देखिये -



Monday, January 17, 2011

पंखुरी की बुक...


पंखुरी बेटी की फ़ेवरिट चीज़ों में अब उनकी तीन बुक्स भी शामिल हो गयीं हैं पहली - ए, बी, सी वाली, दूसरी - क, ख,ग वाली और तीसरी नम्बर्स वाली. बिटिया को जब भी बुक पढनी होती है वो अलमारी की ओर इशारा कर कहती हैं - बुब.... और सब समझ जाते हैं कि उनका पढने का टाइम हो गया है.बुक लेकर बेटी खूब ध्यान से उसे पढती हैं . अब वो सारे चित्र और उनके नाम भी जानने, समझने और बताने लगीं हैं. 
आप भी तो देखिये न किताबों से पंखुर का प्यार -----