हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Sunday, April 22, 2012

पंखुरी का ईस्टर एग !

 स्कूल में बेटी को मैम ने ईस्टर एग कलर करने को दिया और देखिये बेटी ने किस मनोयोग से ये काम पूरा कर दिखाया ...
ओहो ये सादा-सादा बेरंग एग....अच्छा नहीं है ......
ये क्रेयान्स किस दिन काम आयेंगे....
चलो शुरू हो जाओ.....
येलो....येलो.....
रंगों फ़टाफ़ट 
...और ये हो गया कलर्ड ईस्टर एग तैयार...

Saturday, April 21, 2012



तेरह अप्रैल को बैसाखी सेलेब्रेशन था....और  बच्चों को येलो ड्रेसेज में स्कूल जाना था....हमने सुबह-सुबह उठ कर बड़े जतन से बेटी को तैयार किया और देखिये कैसी खिल उठी हमारी नन्ही परी.... ओहो...कहीं नज़र न लग जाए....!!!
पहली अदा इनकार की.... नो फ़ोटोज़ प्लीज़.....
फिर हमारी रिक्वेस्ट पर मान ही गयी बेटी.....
उफ़..... ये मोहनी मुस्कान तो देखिये.....
इस शर्मीली अदा के तो क्या कहने....


है न मन मोहने वाला अंदाज़....और पता है उस दिन बेटी को स्कूल में स्टार चाइल्ड का बैज भी मिला....!!!

पंखुरी का स्कूल

आज ये कुछ और प्यारी फ़ोटोज़ बेटी के स्कूल में बेटी की ...

खुश-खुश बिटिया...........
फ्रूटी और बेटी.....
वाओ....बेटी के फ्रेंड्स....
फिशेज़......

स्कूल में लगा था ये स्पेशल बोर्ड जिस पर टॉपर्स और अचीवर्स  की फ़ोटोज़ लगी थीं.पंखुरी बेटी इस बोर्ड के सामने कुछ अंदाज़ से खड़ी हुईं जैसे कह रही हों कि अब आगे से बेटी की फ़ोटो भी यहाँ होगी....
सचमुच..............
स्माइल ...
प्लीज़ .......
स्कूल का  दूसरा  दिन ....
बेटी का फेवरेट कलर पिंक .....
बिटिया की स्टेशनरी.....
क्राफ्ट एंड आर्ट का सामान......
और ये रहा  बेटी का स्कूल बैग...प्यारा-प्यारा...इसके पीछे किस्सा ये है कि जब बेटी की पसंद को ध्यान में रखते हुए हम बाज़ार में पिंक बैग ढूंढ रहे थे और कोई मनचाहा बैग नज़र में आ नहीं रहा था तो बेटी ने खुद हमें सुझाव दिया-



'' पापा पप्पल (पर्पल) बैग ले लो... हमें पप्पल भी पछंद है...''...........और बिटिया की मोहक मुस्कान से ये बात ज़ाहिर भी हो रही है... है न.....

Sunday, April 8, 2012

पंखुरी - एक नयी शुरुआत ....!

........तो आज खुलने जा रही है पंखुरी बेटी की नयी नवेली दुनिया की नयी नवेली लेकिन खूब प्यारी-प्यारी बातों की पोटली....
ये तो आपको हमने बताया ही था कि अट्ठाईस मार्च से बेटी का स्कूल शुरू होने वाला था...इस दिन था स्कूल का पहला दिन...हम सभी बहुत  दिनों पहले से ही बहुत excited थे ....एक दिन पहले हमने दिन भर खूब तैयारी की और सत्ताईस मार्च की रात बेटी को साढ़े दस बजे तक सुला दिया गया ताकि अगली सुबह पांच बजे उठने में कोई परेशानी न हो... (आमतौर पर बेटी रात बारह बजे के बाद ही सोती हैं )... और उस रात सोते समय हम सबके मन में थी एक ही बात कि कल से बेटी घर की सुरक्षित दीवार से बाहर अपनी एक दुनिया बनाने के बड़े काम में लगने वाली है. अब तक वो हमारी ऊंगली थाम कर अपने को महफूज़ समझती थी लेकिन अब उसे नए लोगों से मिल कर उन पर विश्वास करना सीखना होगा ...जो बेहद ज़रूरी  भी है...

   
इन नन्ही हथेलियों को अब नए हाथ थामना सीखना होगा.... 
और फिर देखिये कैसी रही हम सबकी अगली यानी अट्ठाईस मार्च की सुबह...बिटिया के साथ सारा घर जो जाग गया था....
अट्ठाईस मार्च कीसुबह बिटिया ने पहली बार साढ़े  पांच बजे उठ कर ब्रश किया ,वो भी फटाफट....
 बिना नखरा किये मम्मी से बाल बंधवाये ...वो भी फटाफट ....
फटाफट शूज़ पहने नए वाले.......
और ये बिटिया पूरी तरह तैयार ...
चाचू सोये-सोये भले ही लग रहे हैं मगर ज़रा बिटिया की फ्रेशनेस तो देखिये...माशा अल्लाह
मम्मी-पापा और बेटी....
ये हुयी बाइक स्टार्ट....
...और पंखुरी बेटी पहली-पहली बार अपने स्कूल के लिए रवाना......
लेकिन...ओये ज़रा रुक के......
पहले बाबा का आशीर्वाद तो ले ले....और दे दे ढेर सारा प्यार भी....
और फिर बीस मिनट में बिटिया पहुँच गयी ...अपने स्कूल ''सनबीम स्कूल अन्नपूर्णा '' THE BEST JUNIOR SCHOOL OF THE TOWN ''
अब ये दो बहुत ख़ास फ़ोटोज़ ....ये वाली जब बेटी स्कूल के अन्दर पहुंची और उनके चेहरे पर पहली बार हल्का सा सहमापन दिखाई दिया. देखिये न बेटी ने पापा की ऊंगली कैसे कस के पकड़ी है....
और ये वाली तब.... जब बेटी पूरे दो घंटे बाद अपनी क्लास से लौट कर पापा के पास आई...पापा उस दिन पूरे दो घंटे वही बाहर बैठे थे... लौटने  के बाद बेटी के चेहरे पर सुनहरी धूप सी बिखरी इसी हंसी ने हमारे मन से सारा डर निकल कर रख दिया...