हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Friday, December 31, 2010

Pankhuri wishes to you all A VERY HAPPY NEW YEAR !

To you all
Nights are Dark but Days are Light,
Wish your Life will always be Bright.
So my Dear FRIENDS don’t get Fear
Coz, God Gift us a “BRAND NEW YEAR”.
*HAPPY NEW YEAR*
From Pankhuri Beti

Pankhuri wishes U all
to have a …..
Sweetest Sunday,
Marvellous Monday,
Tasty Tuesday,
Wonderful Wednesday,
Thankful Thursday,
Friendly Friday,
Successful Saturday.
Have a great Year. HAPPY NEW YEAR
2011

and yes lots of love & kisses from Pankhuri 
take care
see U all soon
AT
same blog
PANKHURI TIMES

Thursday, November 11, 2010

रुनझुन दीदी का बर्थडे : A very special occasion 4 pankhuri !

सात नवंबर को पंखुरी ने एक बहुत स्पेशल बर्थ डे पार्टी अटेण्ड की, उसकी प्यारी रुनझुन दीदी की बर्थ डे पार्टी ! इस पार्टी की एक स्पेशियेलिटी ये भी थी कि इसमें पंखुरी बेटी एज़ ए चीफ़ गेस्ट इनवाइटेड थीं और इसके लिये रुनझुन दीदी ने अपने हाथों से पंखुरी के लिये  इन्विटेशन कार्ड बनाया था. आप भी इसे देख सकतें हैं---- 

ये रहा वो प्यारा कार्ड
इसमें आप तोशी यानी रुनझुन दीदी और पंखुरी बेटी को क्लोज़अप में देख सकतें हैं .
और ये रही उस प्यारी शाम की कुछ सुंदर-सुंदर तस्वीरें.................., an exclusive photo-report, specially for you !

रुनझुन दीदी, रचित भैया और पंखुरी .
पंखुरी, प्रदीप फूफाजी की गोद में .
प्रदीप फूफाजी, रुनझुन दीदी, रचित भैया और पंखुरी .
पापा के संग पंखुरी .
केक काटने की तैयारी...
ये रहा सबका फ़ेवरेट पाइनएपल केक...
ये कटा केक......
और गया पंखुरी के मुँह में....
सचमुच टेस्टी...यम्म्म्म्म्म्म्म्म
इतने बडे बलून्स ....
बेटी कैसे पकडे ?
बिटिया.., अपनी दीदी संग....
हम दोनों हैं , एक जैसे....
वाओऽऽऽऽ, हमारी हेयर क्लिप्स भी एक जैसी....
इसी बात पे छूटी.... हँसी की ये फ़ुलझडी ....
पार्टी ओवर होने के बाद गिफ़्ट खोलने में दीदी की मदद किसने की?     और कौन .....,  पंखुरी ने.... भई !
बेटी ने लगाया टाम और जेरी को फोन ...
ओ नोऽऽऽऽ, ये तो रांग नंबर लग गया .... ही-ही-ही
ये प्यारा सा मंकी , ओह नहीं, पर्स, रुनझुन दीदी ने दिया रिटर्न गिफ़्ट....
है न मस्त !!! एकदम पंखुरी जैसा .... हा-हा-हा !



Friday, November 5, 2010

Pankhuri wishes A Very Happy Deepaawali to you all...


पंखुरी बेटी आजकल बेहद खुश हैं. वजह है चारों ओर झिलमिल करती रोशनी की झालरें , लतरें और लडियाँ...! बिटिया को वैसे भी झिलमिल रोशनी बेहद प्रिय है , जिसे देख कर उनका खुशी से उछलना-कूदना-नाचना शुरू हो जाता है फिर चाहे वो किसी की गोद में या बाइक पर ही क्यों न हों. 
तो दीपावली के त्योहार  पर हर तरफ़ रोशनी ही रोशनी पाकर बेटी की खुशी और एक्साइटमेंट देखते ही बन रही है. इस बीच बिटिया ने एक नया शब्द भी सीख लिया है - बमऽऽऽऽऽ, जब कहीं से पटाखे की आवाज़ आती है बिटिया दौड कर आती हैं और सबको बताती हैं - बमऽऽऽऽऽ
पापा, बुआ और चाचू पंखुरी के लिये रोशनी वाले पटाखे (आवाज़ वाले नहीं) लाएं हैं, जिन्हें बिटिया ने धनतेरस से ही इन्ज्वाय करना शुरू कर दिया है. काफ़ी व्यस्त हैं मैडम. लेकिन इन सारी व्यस्तता के बावजूद एक बेहद ज़रूरी काम पंखुरी को करना है और वो है अपने सभी अपनों, दोस्तो यानी आप सबको दीपावली विश करना. 
ये काम तो बेटी भूल ही नहीं सकती है. तो ये रही पंखुरी की तरफ़ से आप सबके लिये वेरी-वेरी स्पेशल विशेज़-------
नन्हे दीपों की ये लडियाँ पंखुरी के उन सारे नन्हे ब्लागर दोस्तो के लिये, जो अपने आँगन के दीप तो हैं ही, साथ ही इन्होंने अपने प्यार, स्नेह और दोस्ती से पंखुरी के संसार को भी सुंदर और जगमग बनाया है. पंखुरी की ओर से माधव भैया, चैतन्य भैया, अनुष्का दीदी, पाखी दीदी, इशिता दीदी,चिन्मयी दीदी, आदित्य भैया, सरस पायस और रुनझुन दीदी को दीपावली की मीठी-मीठी शुभकामनाएं !!!


यह जगमग दीप , उन सभी बडों के लिये, जिनका निश्छल दुलार और प्रोत्साहन पंखुरी बेटी और हमारा भी संबल है. बिटिया की ओर से सरिता बुआ, कल्पना बुआ, शुभम आंटी, रानी आंटी, आकांक्षा आंटी, के.के. अंकल, रवि अंकल, रंजन अंकल, मयंक अंकल, यश(वन्त) अंकल और चीनू दीदी को दीपावली की बहुत-बहुत बधाइयाँ ...!

Monday, November 1, 2010

Down the memory lane...

दिन है सुहाना, आज पहली तारीख है. आज से शुरू हो रहा है नवंबर महीना.अगले महीने यानी दिसंबर की बीस तारीख को पंखुरी का सेकेण्ड बड्डे होगा , ये तो आपको पता ही है. तो हमने सोचा है कि क्यों न हम बेटी के दोस्तो के साथ उनकी कुछ वो मस्तियाँ बाँटे जो हमने कैमरे में कैद तो की थी मगर किसी वजह से उसी वक्त आपसे शेयर नहीं कर सके थे.अब उनके जन्मदिन तक हम कुछ-कुछ ऐसे ही फ़ोटोज़ आपसे शेयर करेंगे. 
 इस बार वो फ़ोटोग्राफ़्स, जो हमने पिछ्ले अक्टूबर यानी एक साल पहले खींचे थे. कुल जमा दस महीने की थीं मैडम, लेकिन दस का दम तो देखिये, बदमाशियों में कहीं कोई कमी नहीं थी.और हमेशा की तरह हम इन्हीं अदाओं पर फ़िदा थे.........
दो दतुलियाँ आ चुकी थीं..., सो क्यूट !

कजरारी ज़ुल्फ़ें भी तब हुआ करती थीं
चाचू की गोद मे गुडिया...
रसगुल्लाऽऽऽऽऽऽऽऽ
बाँसुरीवादन..., सुनेंगे क्या ? ही-ही-ही
किन्नी प्यारी...............

कोई देख रहा है क्या ?
शोनाऽऽऽऽऽऽ
हँस दी..........
गोलगोल है, भई सब गोलगोल है......
हीरे-मोती सी आँखों में छुपी शरारत

 ओ रे बाबा , बिटिया इत्ती हैरान क्यों ?
मैं हूँ पंकुली !!!!

Tuesday, October 26, 2010

New launch of pankhuri's dictionary

पंखुरी टाइम्स का एक अंक पंखुरी बेटी के शब्दकोष के बारे में था, आपने ज़रूर पढा होगा.बिटिया के विकास क्रम में शब्द बोलना सीखने और खुद नये शब्द गढने की प्रक्रिया रोज़ चल रही है. हम उन्हें बोलना सिखाते हैं और जो नये शब्द वो बनाती हैं , उन्हें सीख भी जाते हैं.आखिर कम्यूनिकेशन गैप नहीं होना चाहिये... है न....! दिसंबर की बीस तारीख को पंखुरी दो साल की हो जायेंगी. इस दौरान वो जो कुछ भी सीख रही हैं वो किसी और के लिये न सही हमारे लिये तो कीमती है ही और बडे होने पर बेटी के लिये भी यादगार होगा. यही सोचकर हमने एक योजना बनाई. पंखुरी की डिक्शनरी तैयार करने की . फिर योजना को मूर्त रूप देते हुए डिक्शनरी तैयार भी कर दी और अब अवसर है उसे आप सब पंखुरी के अपनों से उसे बाँटने का , क्योंकि बिना आप सबसे शेयर किये बिना तो बिटिया की हर बात अधूरी ही है न . 
तो लीजिये आप भी देखिये पंखुरी की डिक्शनरी और उसमें संकलित शब्द और बताइयेगा ज़रूर कि आपको ये कैसी लगी ? डा० रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ (उच्चारण) अंकल चाहें तो इनमें से कुछ शब्दों का उच्चारण सही कर सकते हैं, आखिर तो बिटिया अभी सीख ही रही है न-


Thursday, October 21, 2010

दशमी पर मेले की धूम...

अष्टमी और नवमी के बाद सारे देश ने धूम-धाम से दशहरे का त्योहार मनाया. पंखुरी भी सबके साथ थी. दशमी के दिन का प्रोग्राम पहले से फ़िक्स था और बेटी को सपरिवार मेला घूमने जाना था. घर से निकल कर पंखुरी पहले गंगाघाट पर पहुँची.वहाँ एक देवी मंदिर का दर्शन करने  लेकिन वो बंद था फिर बिटिया पापा-बाबा-चाचू-बुआ सबके साथ मेला देखने बनारस के प्रसिद्ध डीज़ल रेलवे कारखाना (DLW) के विशाल ग्राउण्ड में गयी, जहाँ रावण,कुम्भकर्ण और मेघनाद के खूब बडे पुतले देखे. वहाँ पूरी रामलीला चल रही थी. शाम ढलने पर वहाँ खूब सुंदर आतिशबाज़ी हुई फिर  रावण दहन हुआ.
वैसे तो बाकी सब ठीक ही था लेकिन थोडा घपला हो गया..., वो ये कि पंखुरी बेटी आतिशबाज़ी और रावण दहन होने पर काफ़ी डर गयी. आखिर, हैं तो नन्ही बच्ची ही न......., जब तेज़ आवाज़ के साथ आतिशबाज़ियाँ छूटने लगीं तो शायद उन्हें लगा कि पता नहीं क्या माज़रा हो गया है.तो वो बजाय आसमान में देखने के, चाचू से चिपकी रहीं..., चलिये, देखते हैं इस पूरे माज़रे की फ़ोटोरिपोर्ट----
पहला पडाव- ये देवी मंदिर
ओह... यहाँ तो गेट बंद है, अब ... ?
खोलने की कोशिश की जाए ;
नहीं खुला.....
बाहर से ही निन्ना  कर लेते हैं (बिटिया के शब्दकोश में निन्ना का मतलब है - दर्शन,पूजन और मंदिर, अवसरानुकूल इनमें से कुछ भी)


फिर बेटी सबके साथ दशहरे के मेले में पहुँची. आप चाचू की गोद में बेटी को और उन दोनो के पीछे रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों को देख रहे होंगे...

शाम ढलने पर चारों ओर तेज़ रोशनी ने बेटी को अचम्भित कर दिया...
और उनका मुँह ... खुला का खुला ! as usual.
इसके बाद जैसे ही आसमान पर ज़ोरदार आतिशबाज़ी शुरू हुई, बेटी डर कर चाचू से चिपक गयी
देखिये तो कितनी मासूम लग रही है हमारी बेटी...
कुछ देर बाद बेटी को ज़्यादा डरते देख पापा ने गोद में लेकर समझाया कि डरने की कोई बात नहीं, हम सब हैं न...
पंखुरी ने पापा की बात कुछ-कुछ समझी और फिर चाचू के कंधे पर बैठ कर मेले का आनंद लिया, मगर कुछ डरते-डरते....
फिर एकदम शाम ढलने पर परंपरा के अनुसार रावण दहन होना भी देखा.