पंखुरी पिछले दिनों अपनी सरिता बुआ के घर उनसे मिलने गयी .उनका घर वैसे तो बहुत दूर है लेकिन क्या किया जाये .अपनों से मिलते-जुलते तो रहना ही पडता है.
तो पंखुरी पापा की बाइक पर बैठ कर वहाँ पहुँचीं.सरिता बुआ की लाइब्ररी बिटिया को बहुत पसंद आई जिसमें जाने-माने राइटर्स की बुक्स रखीं थीं. उन्हें देख कर पंखुरी को याद आ गया कि उन्हें भी तो बडी हो कर मशहूर राइटर बनना है और ये याद आते ही बिटिया ने लगे हाथ सरिता बुआ को अपना आटोग्राफ़ दे डाला.
उस वक्त तो पंखुरी ने बिल्कुल बडे राइटर्स की तरह दिखने भी लगीं जब बुआ ने अपना चश्मा उन्हें लगा दिया.हाँलाकि वो पावर वाला चश्मा था तो लगाते ही बिटिया को एक के दो और दो के चार दिखने लगे, इसलिये उन्होंने चश्मे को आँखों से कुछ नीचे सरका दिया . फिर सब ठीक-ठाक हो गया. पंखुरी ने कुछ
देर सरिता बुआ के कम्प्यूटर पर भी हाथ आज़माया ,कुछ अभ्यास किया, फिर अचानक उन्हें रोना आ गया क्योंकि हेडफ़ोन शायद उनके कानों को दबा रहा था. फिर हेडफ़ोन
नए दोस्तों के लिए इधर-उधर कहाँ भटकती हो?
ReplyDeleteसीधे यहाँ चली आओ - मन को भाने नए दोस्तों का दिन आया : सरस चर्चा (14)