हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Sunday, August 29, 2010

पंखुरी बिना घर सूना.....!



 हमारी बच्चा रानी .., अरे मतलब ,हमारी पंखुरी बेटी आजकल अपने ननिहाल गयी हुई हैं.सारा घर अजीब-अजीब सा हो गया है.लगता है सब कुछ उदास सा हो गया है बिटिया बिना. हर चीज़ चुप सी है.मानों सबको इन्तज़ार है उनके लौटने का. घर का कोना-कोना बिटिया को शिद्दत से याद कर रहा है. उनकी भोली शरारतें,नटखट हँसी,पूरे घर में चंचल तितली की तरह उडते-फिरते रहना, सबकी आँखों का नूर बन
जगमगाते रहना, अपनी तोतली भाषा में जाने क्या-क्या बोलते रहना ,जिसे सुन कर हम सबका मन जुडा जाता है और नयी-नयी मासूम शरारतों से पूरे घर को गुलज़ार रखना
सच जब से पंखुरी आयी है घर में नूर आ गया है और जब वो कुछ दिन के लिये ही सही,कहीं चली जाती है तो लगता है जैसे घर से उजाला ही चला गया हो. वैसे रोज़ घर लौटने पर दरवाज़े पर बिटिया का दौड कर आ जाना दिन भर की सारी थकान एक क्षण में दूर कर देता है लेकिन उनके न रहने पर ये थकान आराम के बावजूद बनी रहती है और हर आहट पर उनकी ही याद आ जाती है.लगता है जैसे अभी ठुमुक-ठुमुक करती सामने आ खडी होगीं. सुबह-सुबह उनका मासूम कोमल स्पर्श याद आता है तो मन उदास हो जाता है. पंखुरी के कोमल स्पर्श ने सचमुच हमारे जीवन में एक रंग सा भर दिया है तभी तो अब उसके सिवा हम कुछ सोच नहीं पाते. अभी तो मन उसके बिना उदास है मगर ये तसल्ली भी है कि बस अब जल्दी ही बिटिया लौट आयेगी और घर-आँगन फिर से उसकी मासूम शरारतों और किलकारियों से गुलज़ार हो उठेगा.

1 comment:

  1. माधव के बिना मेरा भी यही हाल होता है , मै आपका दुःख समझ सकता हूँ , खैर जल्द ही बिटिया आ जायेंगी और फिर सब कुछ ठीक हो जायेंगा


    मृत्युंजय कुमार

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