हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Wednesday, March 7, 2012

रात के तकरीबन साढ़े बारह बज रहे हैं. मैं अपने कुछ ज़रूरी काम पूरे करने की कोशिश में हूँ और नन्ही बेटी पंखुरी मेरे इर्द-गिर्द चक्कर काटे जा रही हैं .नींद  उनकी आँखों से कोसों दूर है . सोने की हिदायत देने पर कहती हैं -

'' आज मेला छोने का मन नहीं कल लहा है कल छुबा छोयेंगे...अभी बुआ 
छात खेलना है...''
मेरा कोई तर्क, समझाइश या डांट काम नहीं कर रही है...
हम बड़ों की भी चिंता दरअसल कल की नहीं २८ मार्च की है जब पंखुरी पहले दिन अपने स्कूल जाएँगी ....रिपोर्टिंग  टाइम - सुबह ६:४५ ..... अब तक अपनी मर्ज़ी से सोने-जागने वाली हमारी  गुड़िया को उसके बाद एक नियम के तहत घडी की सुइयों के साथ उठाना-जागना-चलना सीखना होगा.

हम सब इन्हीं सब बातों को लेकर परेशान हैं लेकिन पंखुरी को इन सब से क्या वास्ता वो तो अपनी मासूम  शरारतों में व्यस्त हैं...


चलिए इन बातों को हम bhi कुछ पलों के लिए अलग रखते हैं और आपसे शेयर करते हैं बिटिया kee क्रियेटिविटी के कुछ sundar पल....इन तस्वीरों के माध्यम से ...





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है न हमारी आर्टिस्ट बेटी की मनभावन अदा ....! 

2 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया
    आपको महिला दिवस और होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  2. तो आखिरकार अब पंखुरी बेटी का इस संसार से अकेले रू-बरू होने का वक़्त आ ही गया... लेकिन सुबह उठना...उंहूsssss.....ये अनुशासित जीवन !!!!... ये तो थोड़ा ज्यादती है भई !....लेकिन कोई बात नहीं हमारी बिटिया इतनी समझदार है कि वो धीरे-धीरे सब कुछ मैनेज कर लेगी और फिर.... हम सबकी ढेरों शुभकामनाएँ और दुआएं तो बिटिया के साथ हैं ही.....

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