हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Tuesday, September 7, 2010

पंखुरी आई... , रौनक लाई... !

नानी के घर से बच्चा रानी अपने घर लौट क्या आईं मानों सबकी जान में जान आ गयी.
सब खुश हो गये. नयी बात पता चली कि इस बार पंखुरी   भी वहाँ परेशान थीं , उनका मन भी वहाँ नहीं लग रहा था. लगता भी कैसे ? अपना मन तो बिटिया यहाँ छोड गयी थीं- पापा, बाबा, चाचू.बुआ, तन्नू दीदी , अपनी गाडी और अपनी गुडिया के पास. यहाँ हम सब बिटिया बिना उदास थे , वहाँ वो भी हमें मिस कर रही थीं.अब बात उनके नये कारनामों की - बिटिया ने मंजन करना शुरू कर दिया है, फ़िलहाल बिना टूथपेस्ट के.
 और अगर टूथपेस्ट हाथ में आ जाए तो उसका इस्तेमाल किस तरह किया जाता है , आप देख सकते हैं. अगर ये ट्यूब खुल जाए तो सारा का सारा पेस्ट बिटिया के पेट में.... ! वैसे कोशिश भी इसी की हो रही है लेकिन ट्यूब है कि खुल ही नहीं रहा.

1 comment: