हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Thursday, September 30, 2010

छई छप छई...!


बडे लोगों ने कहा है कि ज़िन्दगी में हर काम पूरे आनंद के साथ करना चाहिये और पंखुरी बेटी इस फ़लसफ़े पर पूरा अमल करती हैं और जब बात नहाने की हो तो फिर क्या कहना . हाँ अगर मूड सही न हो तो अलग बात है नही तो छ्प-छप करना (नहाना) बिटिया के लिये एक मज़ेदार खेल है. आप खुद ही देखिये-
ठंडे-ठंडे मम्मा (पानी) से नहाना चाहिये...
बाल्टी में मम्मा खत्म हो जाए तो सीधे नल के नीचे आना चाहिये . ही-ही-ही

फिर हर-हर गंगे करना चाहिये...
और फिर सीटी बजाना चाहिये. आप भी करके देखिये , खूब मज़ा आयेगा !!

7 comments:

  1. वाह, ठन्डे-ठन्डे पानी से नहाना चाहिए....बढ़िया है.

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  2. ----------------------------------------
    छप-छप करके नहाने में तो सचमुच बहुत मज़ा आता है!
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  3. अरे वाह!
    आपकी पोस्ट तो बहुत सुन्दर है!
    --
    इसकी चर्चा तो बाल चर्चा मंच में भी है!
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/20.html

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  4. हा सच है ...मैं भी नहाते वक्त बड़े मज़े कराती हूँ :)
    प्यार
    नन्ही ब्लॉगर
    अनुष्का

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