पंखुरी बेटी अभी खुद पौने दो साल की हैं लेकिन उनके लिये एक दिन से दस साल तक के सारे बच्चे बाबू होते हैं.यहाँ तक कि अगर अपनी भी तस्वीर देख लें तो कहती हैं - बाबू ए (बाबू है).ऐसे में जब पडोस में रहने वाला एक साल का प्रथम उनके घर आया तो बाबू को देख कर पंखुरी खूब खुश हो गयीं.
लेकिन जल्दी ही ये खुशी हाथापाई में बदल गयी.पहले तो किसी की समझ में आया ही नही कि हुआ क्या,लेकिन कुछ ही पलों में माज़रा सामने आ गया. आप भी देखिये क्या हुआ ?
ओहो..., तो ये बात है.प्रथम ने पंखुरी की बुआ का मोबाइल ले लिया. अब भई , बिटिया को तो गुस्सा आना ही था इस बात पर , तो शुरू हो गयी छीना-झपटी . आगे देखिये कौन जीतता है ?
जंग अभी जारी है. कभी पलडा इधर, कभी उधर...! वैसे तो पंखुरी आठ महीने बडी हैं प्रथम से, लेकिन टक्कर बराबरी की है. प्रथम हैं कि फ़ोन छोड ही नहीं रहे और पंखुरी ,उन्हें तो किसी भी कीमत पर फ़ोन की हिफ़ाज़त करनी है.
और लीजिये जनाब.., हो गया फ़ैसला.आखिरकार हमारी बिटिया ने जंग जीत ही ली . देखिये तो, बुआ का मोबाइल वापस लेकर कितना इत्मिनान है बेटी के चेहरे पर. वेलडन पंखुरी..., कीप इट अप !!!
ये सिंड्रोम मुझे भी है , मेरे उम्र के बच्चे को मै भी बाबू कहता हूँ
ReplyDeleteओह , तो बुआ सही ही कहती हैं माधव भैया कि हम सब बच्चे एक जैसे होते हैं.
ReplyDeletewelcome.. हमने आपका ब्लॉग
ReplyDeletehttp://hindikids.feedcluster.com/ यहाँ जोड़ दिया है.. सभी बच्चों के ब्लॉग यहाँ है...
प्यार... मिलते रहेंगे...
aakhirkaar stree shkti ne ekbar phir apna loha manva liya..jai ho!
ReplyDeleteaakhirkaar stree shakti ne ekbar phir apana loha manva liya jaiho!
ReplyDeleteभुआ तो खुश हो गई होंगी .....पहले तो मैं भी ऐसा करती थी लेकिन अभी अभी शेयर करने लगी हूँ थोडा . जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम भी करोगी :)
ReplyDeleteनन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
hey pankhuri... sweety ye bade log kyon nahi samjhate ki hame bhi mobile ki zaroorat ho sakati hai.... todane fodane ke liye hi sahi.....
ReplyDeletebitiya ko to jeetana hi tha.........haq ki ladai jo thi.....
ReplyDeleteमजेदार...पहली बार यहाँ आई..अच्छा लगा. 'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
ReplyDeleteआज पंखुरी खूब-खूब खुश हैं. उसके इत्ते सारे दोस्त जो बन गये हैं.माधव भैया, चैतन्य भैया, अनुष्का दी, पांखी दी (जिनका नाम सुन कर पंखुरी को अपने नाम जैसा ही लगा),सरिता बुआ और कल्पना बुआ, जिनका बिटिया रोज़ इंतज़ार करती थी और हाँ सबसे स्पेशल थैंक्स तो रंजन अंकल को, जिन्होंने बिटिया को उसके जैसे ढेर सारे नन्हे ब्लोगर दोस्तो से जोड दिया.आप सभी को पंखुरी बेटी की ओर से एक बिग थैंक्यू ... !
ReplyDeleteइसी तरह पंखुरी जीवन के क्षेत्र में सफलता अर्जित करे....
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति ,शुभ कामनाएं । कुछ हट कर खबरों को पढ़ना चाहें तो जरूर पढ़े - " "खबरों की दुनियाँ"
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हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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