अगर आपको ऐसा लगता है कि पंखुरी बेटी का काम केवल मस्ती करना, शरारत करना और पापा-चाचू की बाइक पर घूमना है तो एकदम गलत... , लीजिये हम अभी आपकी गलतफ़हमी दूर किये देते हैं. पिछ्ले दिनों बेटी ने चाचू की बाइक धोने में खूब मदद की.खास बात ये कि मदद बिन माँगी थी, बिन माँगे मोती मिले टाइप वाली. गौरतलब है कि सारे घर वाले यानी बडे लोग इस बात के विरोधी थे कि इस काम में बेटी की मदद ली जाए, यहाँ तक कि खुद चाचू भी. इसके लिये बार-बार पंखुरी को मना किया गया और थोडी बहुत (मीठी वाली) डाँट भी पडी. दरअसल सबको बदलते मौसम में पानी में भीग कर बिटिया की तबीयत खराब होने की चिन्ता जो सता रही थी, लेकिन पंखुरी के आगे किसी की एक न चली जो ठान लिया- सो ठान लिया...
तो लीजिये आप खुद ही देखिये कि बिटिया ने किस ज़ोर-शोर से चाचू के साथ बाइक साफ़ करवाई-
अब इतनी धुलाई के बाद तो चाचू को भी मानना पडा कि बिना पंखुरी बेटी की मदद के इतना बडा काम पूरा कर पाना मुश्किल ही नही , नामुमकिन था... चाचू ने बेटी को एक बिग थैंक्यू बोला... आप क्या बोलते हैं ?
wah . i also so this with my Mom/dad
ReplyDeletevery good pankhuri.... hum bachhe to har kaam me madad karna chahte hain... hamri help koi lena hi nahi chahta.... sahi na...?
ReplyDeleteये हुई न कोई बात..चाचू भी खुश. चाकलेट खिलाई कि नहीं.
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत मेहनत कर रही हो आज तो!
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आपकी सुन्दर पोस्ट री चर्चा तो बाल चर्चा मंच पर भी लगाई गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/22.html
Woow ! you are really a happy happy helper
ReplyDeleteAnd i like helping to :)
good job ....lots of love
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का