सावन के महीने में पंखुरी बेटी के शहर यानी वाराणसी की छटा ही निराली हो जाती है ये बात तो सारी दुनिया को पता है लेकिन बेटी को तो भाता है बस मेला .... सावन का मेला.... ढेर सारे चरखी , झूले, खिलौने और गुब्बारे वाला मेला. जहां पर होता है खूब एडवेंचर,मस्ती और बेटी के दौड़ने - भागने के लिए यहाँ से वहाँ तक जगह ही जगह...!
सावन के दूसरे सोमवार को बेटी पापा-मम्मी-बाबा और तनु दीदी के साथ मेला घूमने के लिए सारनाथ गयी. याद है न आपको पिछले साल भी बेटी वहाँ गयी थी . तब वो केवल डेढ़ साल की थी और तब वहाँ मेला भी नहीं लगा था....लेकिन हाँ उस बार की पूरी मस्ती की सारी बातें भी हमने आप सबसे शेयर की थीं.
लेकिन अबकी तो मज़ा दुगना था. बेटी भी कुछ और समझदार हो गयी है,झूले तो थे ही साथ में कंपनी देने के लिए तनु दीदी भी थी...
हालाँकि व्यस्तता के कारण बुआ और चाचू के साथ न जाने से बेटी कुछ उदास ज़रूर थीं लेकिन मेले में पहुँच कर उनके सलोने मुखड़े पर मुस्कान की धूप खिल ही गयी और फिर हुई झूम के मस्ती.ये उसी के कुछ प्यारे चुनिन्दा फ़ोटोग्राफ ख़ास आपके लिए.........
हालाँकि व्यस्तता के कारण बुआ और चाचू के साथ न जाने से बेटी कुछ उदास ज़रूर थीं लेकिन मेले में पहुँच कर उनके सलोने मुखड़े पर मुस्कान की धूप खिल ही गयी और फिर हुई झूम के मस्ती.ये उसी के कुछ प्यारे चुनिन्दा फ़ोटोग्राफ ख़ास आपके लिए.........
बाबा और तनु दीदी साथ बेटी... |
वाओ ...... झूले.......! |
इसी पर तो बैठना है बेटी को... |
एडवेंचर..... |
इत्ती ssssssssssss चिलिया ... |
ज़रा ध्यान से देखा जाए .... |
साथ-साथ |
हुर्रररर रे.......... |
घूमो-घूमो |
झाड़ी में फूल :-) मतलब पंखुरी ....... |
सुहाना मौसम...... |
झूला ssssssss |
चलते चलो ....... |
मजे-मजे खूब सारे मजे
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रमयी प्रस्तुति...
ReplyDeleteप्रिय पंखुरी बहुत मजा आया मेला में तो हमें भी घुमा दिया हम आप की नजरों से इतना आनंद मनाये भोले बाबा के धाम घूमे -
ReplyDeleteधन्यवाद आप का
भ्रमर ५