हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Friday, May 6, 2011

पंखुरी की बातें

पंखुरी बेटी बड़ी हो रही  है  और उसका कम्यूनिकेशन  स्किल भी बढ़ता जा रहा है.समृद्ध हो रहा है शब्द -कोष ...और स्पष्ट हो रहे हैं वाक्य और सम्प्रेषण ...! ये वाकई बहुत सुन्दर अनुभव है जिससे इस वक्त गुज़र रहे हैं हम सब...उसके अपने...!
 बात तो बेटी हमेशा ही करती रही है...याद नहीं आता कभी ऐसा हुआ हो कि उसने हमारा कहा न समझा हो ,या फिर हमें अपनी बात न समझा पाई हो. ऐसा कभी हुआ ही नहीं. 
हम हमेशा संवाद करते रहे हैं उसके साथ.माध्यम चाहे शब्द हों या इशारे यानी  संकेत ...!
लेकिन अब तो बेटी बाकायदा बातें करने लगीं है ...
आज की पोस्ट में बेटी के साथ होने के ऐसे ही दृश्यों की बानगी ...

दृश्य - एक




सुबह पंखुरी सो कर उठीं . सब ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुके हैं . ऐसे में बुआ और बेटी की बातचीत ...

गुड मॉनिंग शोना... उठ गयी क्या बेटी ?
(सर हिला कर हाँ का संकेत फिर हाथ उठा कर...)
दूदी (गोदी)
बुआ ऑफिस जा रही है ...टाटा-बाए-बाए कर दो बुआ को...
(सर हिला कर नहीं का संकेत)
क्यों ...?
अब्बी नाईं...बुआ औपिच अब्बी नाईं ...!
(बुआ , ऑफिस अभी नहीं जाओ)
जाना पड़ेगा बेटा, ऑफिस के लिए लेट हो रही है न ...
अब्बी नाईं ...अब्बी बुआ बैत...! 
(अभी नहीं जाओ... बुआ अभी बैठो)
ओके , बुआ अभी जाकर अभी तुरंत लौटती है. बताओ क्या चाहिए.बेटी लिए क्या लाना है .
(अनमने ढंग से ) तौपी...अंदा...पूती...तौकेत...(टॉफी,अंडा,फ्रूटी,चॉकलेट)
और फिर 
बाए-बाए,ता-ता,तीऊ (बाय-बाय,टा-टा,सी यू)


दृश्य - दो 



पापा रात में घर पहुँचे और बेटी ने कुछ देर पहले हुई घटना का विवरण दिया...

पापा...अन्दा गिल (पापा अण्डा गिर गया)
अरे अण्डा  कैसे गिर गया बेटा ?
अन्दा धलाम...(अण्डा धडाम से गिर गया)
किसने गिराया ?
बाबू...(पंखुरी ने)
बाबू ने अण्डा कहाँ गिराया ?
अबयै कुकान...बाबा...बाबू अन्दा गिल...(पंखुरी अभय की दुकान से बाबा के साथ अण्डा ला रही थी, जो गिर गया.)
ओहो , फिर क्या हुआ ?
अन्दा तूत...(अण्डा टूट गया)
फिर टूट कर अण्डे से क्या निकला...चिडिया या चूज़ा...?
(ये सवाल कुछ जटिल था बेटी ने कुछ सोच कर जवाब दिया) 
अन्दा....!(अण्डा से अण्डा निकला)


दृश्य - दो 


चाचा आफ़िस से रात में घर पहुँचे और बेटी ने कुछ देर पहले  का अनुभव शेयर किया...

तातू बम ब्लाम.(चाचू बम भडाम से फटा)
अच्छा...फिर...
बाबू दलऽऽऽ (पंखुरी डर गयी)
पंखुरी ने डर के क्या किया ?
बाबू लोऊ-लोऊ (पंखुरी रोने लगी) !!!
और ये सारा विवरण पूरे एक्शन के साथ दिया गया.

4 comments:

  1. सच में बहुत अच्छा लगा इन दृश्यों के साथ.ये प्यारी प्यारी बातें किसी का भी मन बदल सकती हैं.
    पंखुरी को ढेर सारा प्यार.

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  2. हम बच्चों की तो बात ही निराली होती है...

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  3. प्यारी-प्यारी पंखुरी की तोतली भाषा में की गई ये भोली बातें न सिर्फ़ मन को छू जाती हैं, बल्कि ऐसा लगता है मानो उसकी हर एक अदा,हर एक बात हम प्रत्यक्ष देख सुन रहे हों...इतने जीवन्त प्रस्तुतीकरण के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और पंखुरी को ढेर सारा प्यार...

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  4. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

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