ये वो
कहानी है जो बेटी रात में सोने से पहले अक्सर बुआ को यानी हमें सुनाती हैं.इसके
पहले बुआ को बेटी की फ़ेवरेट फेयरीटेल सुनानी पड़ती है....फिर रिक्वेस्ट करनी होती
है कि अब बेटी एक स्टोरी सुनाएँ. पंखुरी का पहला रिएक्शन होता है... हमें नई
आता.... फिर दोबारा रिक्वेस्ट करने पर बेटी की कहानी शुरू हो जाती है...लीजिए आपके
लिए भी उस कहानी की एक बानगी पेश है......
एक लाक्कुमाली ती. वो जंगल
छे जा ली ती. फिल उछे एक लॉयन मिला. वो बोला मैं तुमे खा जाऊँगा.(पूरी भावभंगिमा
के साथ) फिल लाक्कुमाली पूछी (बेटी अभी कही या बोली को पूछी ही कहती हैं...) नई
लॉयन जी हमें नई खाओ...फिर वहाँ एक बंदल आया ...फिल वो पेल पल चल गया (पेड़ पर चढ़
गया) फिर पेल पल चिलिया लैती ती....उछके दो बच्चे ते ...चुन्नू औल मुन्नू....
फिर ये कहानी या तो चलती
रहती है या फिर अचानक ही किसी मोड़ पर रुक जाती है जिसके बाद बेटी कहती हैं...बुआ
अब तुम छुनाओ...और फिर बुआ को यानी हमें बड़ी मेहनत से उस ढेर सारे धागों में उलझी
कहानी का सिर पकड़ना पड़ता है....लेकिन जो भी हो ये सारी प्रक्रिया होती है बड़ी
मज़ेदार और मनभावन....आजकल बिटिया रानी ने कहानी शुरू करने का एक नया अंदाज़ सीख
लिया है जिसमें वो सबसे पहले बड़ी संजीदगी से कहतीं हैं....
‘‘ एक छमे (समय) की बात
हे....’’ है न मज़ेदार....
ये रही बेटी की वो फेयरीटेल
पिक्चर बुक...जो बुआ लायी है और जो अब बेटी की फ़ेवरेट बुक बन गयी है.....
So sweet good girl <3
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