हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Thursday, June 30, 2011

पंखुरी ने मनाया बुआ का बड्डे...!

वैसे तो सब दिन एक जैसे ही होते हैं लेकिन पंखुरी बेटी की स्माइल किसी-किसी दिन को कुछ ख़ास बना ही देती है. बुआ का जन्मदिन भी ऐसा ही दिन था. ढेर सारे काम,ऑफिस और सारे दोस्त दूर-दूर... ऐसे में बुआ के पास कोई ख़ास वजह तो नहीं थी खुश होने की ,लेकिन बेटी की मनमोहनी मुस्कान ने वजह बना ही दी... और फिर बात जन्मदिन की हो तो भई ये तो तय ही है...कि पंखुरी बेटी के लिए ये ओकेज़न हमेशा सबसे विशेष होता है.
She loves to celebrate birthdays फिर चाहे वो किसी का भी हो...
और वैसे भी घर में तो केक हमेशा बेटी के नाम से , उनके लिए ही आता है चाहे जन्मदिन किसी का भी हो...तो बुआ का बड्डे-केक भी बेटी के नाम से ही आया. देख लीजिये..
यम्मी ....पाइनेप्पल तेत... ओहो आई मीन केक...


ओह...ये कैंडल है या....

.... फुलझड़ी ....

नहीं..नहीं...कैंडल तो ये है...चलो भाई ... मारो फूँक ....


गुड...और अब बारी, केक काटने की...

SMILE PLEASE !!!

2 comments:

  1. गुड!... वेरी गुड!! बर्थडेज़ तो स्पेशल होते ही हैं आखिर इस दिन यम्मी केक जो खाने को मिलता है... है ना पंखुरी....

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  2. So sweet of you Pankhuri!... लेकिन तुमसे एक शिकायत है तुमने सारा केक खुद खा लिया मुझे नही दिया....

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