हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Thursday, June 23, 2011

जहां चार यार मिल जाएँ....

इन समर्स में पंखुरी ने खूब मस्ती की. इसकी दो वजहें थीं ...पहली तो ये कि बिटिया अब बड़ी हो रही हैं और शैतानियों की उस्ताद भी और दूसरे - इस उस्तादी में उनका भरपूर साथ देने के लिए इस बार गांधीधाम-गुजरात से सार्थक भैया और तोशी दीदी भी जो आ गए थे...इस टीम को पूरा किया बनारस में रचित भैया ने ... फिर तो जब-जब ये चारों मिले खूब धमाल हुआ... ये कुछ यादगार फ़ोटोज़ हैं इनकी आउटिंग की....

पंखुरी - तोशी दीदी - रचित भैया

... और ये आये सार्थक भैया...

... और ये चार --- `` फास्टेस्ट फ़ोर ''

... हंसी खिली धूप सी....

.... ये देखिये इनकी टीम की सबसे छोटी मेंबर...इत्ती छोटी कि बेचारी अभी गिनती से ही बाहर है..ही-ही-ही .... लेकिन वरी नॉट... अगले साल तक ये मैडम भी मम्मी की गोद से उतर कर इन चारों की टीम ज्वाइन कर लेंगी...तब कीजिये इंतजार ...!

ये बंधन तो......

प्यार का बंधन है.....क्या समझे :-)
ओये..... ये क्या ...झूले के ऊपर तोशी दीदी और .........बुआ .....!!!!  ....और पंखुरी किधर .....?

ये नीचे खड़ी सोच रही ..ऊपर कैसे पहुंचे...दोनों के पास !!
 

3 comments:

  1. वाऊऊऊऊऊ!!!! ये सारी फोटो देखकर मुझे फ़िर से मज़ा आ गया...वो एक पूरा दिन हमारे डे-आउट का कितना मज़ेदार था...हम सबने कितssssनी मस्ती की थी...कितना घूमे थे हम-सब...

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  2. बच्चों की इसी निश्छल..मन-मोहक हंसी के तो हम बड़े मुरीद होते हैं...नन्हे-नन्हे बच्चों की ये नन्ही-नन्ही खुशियां हम बड़ों के हर सुख-दुःख पर भारी होती हैं...बिना किसी बनावट, बिना किसी लाग-लपेट के..अन्तस के निर्मल-निश्छल सौन्दर्य को बिखेरती,सोने-सी निखरी,धूप-सी खिली इन मासूम खिल-खिलाहटों पर क्यों न हम बलि-बलि जायें....

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  3. haaye.. meri beti bahut badi ho gayi hai... maine jab dekha tha toh nanhi si thi meri pyari pari.. (talking about lily.. in sangeeta bhabhi's lap)
    huhuhu... itti jaldi badi ho gayi.. mere saath kheli bhi nahi :(
    Rachit toh meri godi mein so jata tha bilkul pyaar se..

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