हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Friday, June 25, 2010

शान की सवारी !!!

पापा,बाबा और चाचू की बाइक्स पर घूमना पंखुरी का सबसे बडा शौक है.चाहे कितनी भी रात हो जाये,जो भी घर लौटेगा,वो बिना पंखुरी को घुमाये घर में नही घुसेगा,ये घर का पक्का नियम बन चुका है ,जिसे कोई नही तोड सकता.लेकिन अपनी गाडी होने की अलग ही शान है , जैसे ही ये लगा ,पंखुरी ने झटपट पापा के साथ जाकर अपनी स्पेशल डाल्फ़िन राइडर खरीद डाली.घर लौट कर सबसे पहले पंखुरी ने उस डिब्बे से खेला,जिसमें  पैक होकर डाल्फ़िन राइडर घर आई थी. वो डिब्बा उसे बहुत अच्छा लगा.
और डाल्फ़िन राइडर...वो तो इतनी प्यारी है कि पूछिये ही मत !बच्चे तो बच्चे, बडे भी देख कर ललचा जाते हैं.  इसी तस्वीर में देख लीजिये,चाचू कैसे ललचा रहे हैं .बेचारे इस पर बैठ नही सकते. बडे जो हैं . 

पंखुरी अपनी गुडिया को भी अपनी स्पेशल गाडी पर घुमाती है और कभी-कभी पंखुरी की तनु दीदी भी इसका मज़ा लेती है .दोनो ही पंखुरी की दोस्त जो हैं और पंखुरी अच्छे बच्चों की तरह दोस्तो से हमेशा अपनी चीज़ें शेयर करती है.तो फ़िलहाल डाल्फ़िन राइडर बन गयी है पंखुरी बिटिया की प्यारी गाडी..!जिसमें पहिये तो हैं मगर पैडल नही है.पंखुरी अभी बहुत छोटी है न...ऐसा इसलिये !पापा ने कहा है कि जब वो कुछ और बडी हो जायेगी,तो उसकी लिये बैटरी वाली कार और पैडल वाली साइकिल भी लायेंगे.तब तक तो यही है पंखुरी की शान की सवारी........ !!!!!!!!

1 comment:

  1. पंखुरी की डाल्फ़िन राइडर तो मेरा मन भी ललचा रही है....
    ढेर सारा प्यार !

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