हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Monday, December 19, 2011

Its the time for PARTY...बार -बार दिन आये...!!!

अगर ये किसी गुनाह की श्रेणी में आ पाता तो बिलाशक ये काबिल-ए-माफ़ी न होता लेकिन मेरी खुशकिस्मती है कि ये गुनाह की श्रेणी में नहीं आता इस लिए मैं  किसी सज़ा से बरी हूँ लेकिन सच ये है कि मेरा मन मुझे माफ़ नहीं कर पाता...इतने दिन बीत गए ...वक्त है कि पंख लगाये उड़ता ही चला जाता है , पंखुरी बेटी की अदाओं और बातों की फ़ेहरिस्त बड़ी ही होती जाती है और मैं हूँ कि समय ही नहीं निकल पाती उन मनभावन बातों को आप सब के साथ बाँट पाने के लिए...


बस...बस...बस...
सीरियस बातें अब और नहीं ...क्योंकि ये आखिर पंखुरी बेटी का blog है भाई , और ये हम कैसे भूल सकते हैं भला..और आज इतने दिनों बाद हज़ारों व्यस्तताओं के बावजूद ये पोस्ट इस लिए लिखना ज़रूरी था क्योकिं आप सबको एक बहुत ही ज़रूरी बात याद दिलानी थी ----- 
कल यानी बीस दिसंबर को हमारी पंखुरी बेटी का हैप्पी बड्डे है.....
वाओ ...माजा आ गिया....
जीहाँ कल बिटिया रानी पूरे तीन साल की हो जाएँगी ...है न अच्छी बात...
इससे भी अच्छी आप सबसे शेयर करने वाली बात ये है कि पिछले डेढ़-दो  महीने में बेटी ने काफी उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण प्रोग्रेस की है फिर चाहे वो बोलना हो ,खेलना हो, बदमाशियां हो या कुछ और ...पंखुरी ने पिछले दिनों में बहुत कुछ सीखा है.






वन टू टेन गिनती...ए,बी,सी वो भी पूरे सुर-लय के साथ...ढेर सारी हिंदी-इंग्लिश राइम्स और अब तो  पंखुरी कहानियाँ भी सुनाने लगीं है...जीहाँ , सुनने नहीं...सुनाने...जिसमें एक बंदल....एक चिलिया...और एक लाजतुमाली (राजकुमारी) की कहानियाँ प्रमुख हैं :-D
पंखुरी के कमेंट्स एक और उल्लेखनीय चीज़ कहे जा सकते है... कोई तैयार हो, बिटिया फ़ौरन कहेंगी...आह्हा....छुन्दल लग लये हो.


 अगर खुद तैयार हों तो पूछेंगी ....कैछे लग लये हैं ?


 एक शाम कहीं से घूम के घर लौटी तो चाचू की बाइक पहले से खड़ी थी. बेटी बोलीं- गाली (गाड़ी) है , लगता है चाचू आ गए है.


मम्मी ने पिछले साल की एक पैंट पहना दी जो अब कुछ छोटी हो गयी है. ज़ाहिर है बिटिया को पहन कर कुछ अनईजी सा महसूस हो रहा था. सबने कहा कि शायद छोटी हो गयी है. पंखुरी ने सुन लिया. फिर क्या झटपट पैंट उतारी और बोलीं - लक्खो (रखो) जब (पैंट)बड़ी हो जाएगी तब पहनेंगे. 
बस सब लाजवाब.... :-डी





बातें बहुत सारी हैं ....जिन्हें आपसे बांटना है लेकिन फ़िलहाल यहीं पर बस ...क्योंकि अभी बेटी और बुआ यानी मुझे मिल कर जन्मदिन की पार्टी की तैयारी भी तो करनी है. इस बार तो हम सबका उत्साह बेटी खुद बाधा रही हैं....और बहोत-बहोत खुश हैं .....वैसे भी बेटी का सबसे फ़ेवरेट इवेंट बर्थडे पार्टीज़ ही तो हैं....फिर अपने बड्डे की ख़ुशी का अंदाज़ तो बस लगा ही लीजिये...
हम भी अति उत्साह में हैं ...हों भी क्यों न ...ये बेटी की यादों में बस जाने वाला उनका पहला जन्मदिन जो होगा...अब वो बड़ी और समझदार जो हो गयीं हैं...
वैसे इस बार सालों बाद बनारस में दिसंबर का महीना ऐसी कंपकंपा देने वाली कोहरे भरी सर्दी लेकर आया है...लेकिन हमारे जश्न में कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला.... 
तो चलते हैं...
अगली पोस्ट में पार्टी की मज़ेदार बातों के साथ फिर मिलेंगे 
बाय ....टाटा...
:-D
  




बार -बार दिन आये...

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