हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Saturday, July 2, 2011

नयी अदाएं ,नए जलवे...

पंखुरी मतलब कॉपी कैट ..... अरे नहीं-नहीं मजाक नहीं ...एकदम सच्ची...! बेटी के सामने जो कुछ भी होता है उसे  हू-ब-हू दोहराए बिना बेटी का काम पूरा नहीं होता.किस्से बहुत से हैं ...क्या-क्या कहा जाए , बताया जाए ! आजकल बेटी का मन साड़ी पर आया हुआ है. उनके सामने साड़ी पहनो तो उन्हें भी ज़रूर पहननी होती है.अक्सर बुआ सुबह जब ऑफिस जाने के लिए साड़ी पहन रही हो तब बेटी उसी साड़ी को पहनने की जिद करने लगती हैं और बुआ का तैयार होना मुश्किल हो जाता है. 
ऐसे में ये है एक नयी तरकीब ... , जिससे बेटी भी खुश और बुआ भी...!
देख कर बताइए कैसी लगी...? अरे बाबा , तरकीब नहीं... इस गेटअप में हमारी बिटिया रानी !
ओहो ...साड़ी संभाल गोरी....

उफ़ ... तेरी अदा....
wearing SARI with Grace !!
सिर पर पल्लू के साथ ...खजूर का पेड़ ... देखा था कभी ?? 


 ...और हाँ लगे हाथ ये भी जान लें कि ये शेडेड साड़ी... असल में बुआ का दुपट्टा है ... ही-ही-ही-ही !!

3 comments:

  1. Well Done Pankhuri!!! हमें अपनी राष्ट्रीय पोशाक साड़ी पहनना तो आना ही चाहिये... तो फिर जब सारी चीज़ें हम बचपन से ही सीखना शुरु कर देते हैं तो ये क्यों नहीं ?.... पता नहीं बड़े इस बात को समझते क्यों नहीं... लेकिन तुम्हारी बुआ ने समझा इसलिये उन्हें ढेर सारा थैंक्यू कहना मत भूलना... और हाँ तुम्हारी साड़ी, खजूर का पेड़ और तुम तीनों ही बहुत प्यारे लग रहे हो...

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  2. साड़ीड़ीड़ीड़ीड़ी........ :))))))

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  3. सुन्दर प्रयास- हमारे देश की पोशाक के साथ बच्चों को अपनी संस्कृति और उसकी महत्ता भी बतानी चाहिए ...
    हम भी बच्चों को ऐसे लिख सकते हैं ..

    साड़ी संभाल लाडली ....
    पंखुरी तो परी सी सुन्दर ...क्या सोच ....प्यारा नजारा है ...
    साड़ी पहने कितनी आकर्षक और शोभायमान ...
    सिर पर पल्लू के साथ ...खजूर का पेड़ ... देखा था कभी ??
    शुक्ल भ्रमर ५

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