हमारी नन्ही परी

पंखुरी
Saturday, April 30, 2011
Monday, April 18, 2011
पंखुरी मैम की क्लास...
आज आप सब के रिवीज़न का दिन है . हाँ जी हाँ ...सही सुना आपने रिवीज़न...!
बचपन में आप सबने ABCD तो पढी ही होगी, है न ....लेकिन पक्की बात है कि फिर उसके बाद कभी उसका रिवीज़न नहीं किया होगा. हाँ भई... आप सब बड़े लोगो के पास ढेरों काम होने का सदाबहार बहाना जो रहता है.लेकिन अब किसी का कोई बहाना नहीं चलेगा , क्योंकि अब शुरू हो गयी है पंखुरी मैम की क्लास... तो आप भी इस क्लास में आइये और पढना शुरू कर दीजिये ... ए फॉर एपल , बी फॉर ....
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so, r u ready ... ? |
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C फॉर कैत |
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D फॉर डॉग...नहीं बाबा.... दौगी |
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देखिये, वही पढ़िए जो मैडम बताएँ वरना मैडम नाराज़ हो जाएगीं ... हाँ ..... ओके ! |
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M फॉर मेंदो पूती (mango frooti) |
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E फॉर आंती (हाथी) |
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वैरी गुड ....ऐसे ही अच्छे बच्चों की तरह पंखुरी मैम की क्लास अटेंड करते रहिये ... बाकी की पढ़ाई नेक्स्ट टाइम ....बाए बाए !!! |
Wednesday, April 13, 2011
baby with baby
अगर ये बात पंखुरी को कहनी हो तो वो कहेंगी बाबू-बाबू मतलब बाबू के साथ बाबू , मतलब बच्चे के साथ बच्चा ....ओह बेटी की बातों का कितना मतलब समझाना पड़ता है....है न :-)
अब ये तो आप सब जानते ही हैं कि पंखुरी की दोस्ती दूसरे बाबू लोगों (बच्चों) से कितनी जल्दी हो जाती है. बेटी के घर जमुना दीदी आती है बर्तन साफ करने के लिए ..., एक दिन वो अपने साथ अपनी चार महीने की बच्ची को भी लेती आई . फिर क्या ....पंखुरी को वो बाबू इतना पसंद आया कि जब जमुना उसे लेकर जाने लगी तो पंखुरी ने रो-रो कर सारा घर सिर पर उठा लिया और आखिर जमुना को आधे घंटे एक्स्ट्रा रुकना ही पड़ा ताकि पंखुरी बेटी बाबू से खेल सकें . अब इतने छोटे बाबू से खेलती कैसे ....सो बेटी को उसे गोद में बिठा कर ही संतोष करना पड़ा. गनीमत कि इतने में ही वो मान भी गयीं वरना जाने क्या होता ... ?
पापा ने ये सारे दृश्य यादगार बनाने के लिए कैमरे में कैद कर लिए. आप भी देखिये......
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पहले बेटी ने बाबू को बड़े चाव से छू कर देखा... |
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फिर उसे जूती पहनाने में भी हेल्प की... |
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और फिर बाबू को गोदी में ले लिया ... |
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ओहो ... ये बाबू तो कुछ ज्यादा ही भारी था , आई मीन भारी थी भई... ही-ही-ही |
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थोड़ी देर बाद वो बेटी की गोदी से धीरे-धीरे सरकने लगा ... |
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ओए ...पकड़ के रखना ...,छोड़ना नहीं ....,जोर लगा के हईशा.... |
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ओ....नो.....बाबू तो बेटी की गोदी से फ़िशलू -फ़िशलू हो गया (फिसल गया ) हो-हो-हो....ही-ही-ही. |
अरे बाबा घबराने की कोई बात नहीं . बाबू को चोट थोड़े ही न लगने पाई.वहाँ पापा जो थे.
Tuesday, April 12, 2011
Have a sip with Pankhuri....
चैत्र नवरात्रि में पंखुरी बेटी भी निन्ना (मंदिर में दर्शन) करने गईं थीं .लौट पर उन्होंने सबके साथ प्रसाद यानी नारियल और इलाइचीदाना खाया .
उसके बाद एक बिलकुल नयी चीज़ के स्वाद का आनंद लिया . पहली बार तो बेटी को इसे चखना सीखना पड़ा और फिर बेटी इसकी दीवानी हो गयीं. आप भी देखिये आनंद के ये दृश्य .....
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अहा मीथी...मीथी ...पूती |
इसके बाद बिटिया की दीवानगी इतनी बढ़ी कि जब दर्शन के बाद सब जय माँ-जय माँ कह रहे थे तो बेटी कह रहीं थीं दै माँ पूती.
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