हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Tuesday, March 27, 2012

A new world is waiting for Pankhuri Beti (2)

बस कल से पंखुरी का स्कूल शुरू ..... सारा घर उत्साह और उमंग से भरा है... बेटी की तैयारी में सब के सब बिज़ी...बहुत सारे  काम हैं और थोड़ा सा डर भी सबके मन में ....कैसा होगा बिटिया का स्कूल में पहला दिन .... कही वो घबरा तो नहीं जाएगी ? कहीं रोने न लगे...कहीं डर न जाये...सब ठीक तो होगा न ...बिटिया को अपना स्कूल पसंद तो आएगा न...और पहले दिन ही इतने सारे बच्चे ...बेटी ऐसा नज़ारा भी पहली बार देखेगी...अब तक अपने घर की दुनिया ही बेटी का साम्राज्य था जहाँ बेटी का निद्वंद राज्य चलता है...अब स्कूल में इतने हमउम्र बच्चों के बीच बेटी ताल-मेल बिठा पायेगी या नहीं.... बिठाना तो है ही बस कितना समय लगेगा कहा नहीं जा सकता.
....और हाँ बच्चो की इस भीड़ के बीच ही तो कहीं होगा वो भी ....जो धीरे-धीरे बेटी का बेस्ट फ्रेंड बन जायेगा. इस समय उसके घर भी तो कुछ ऐसी ही तैयारियां चल रही होंगी.  बच्चे कितनी जल्दी बड़े हो जाते हैं न ...या फिर वक्त कितनी तेज़ी से उड़ता चला जाता है...इन फ़ोटोज़ को देख कर तो  कुछ ही एहसास होता है.......

सचमुच...पापा, मम्मी, बुआ,चाचू की नन्ही परी और बाबा की सोन-चिरैया अब बड़ी हो गयी है और बस कल से स्कूल जाना शुरू करने वाली है...आगाज़ होने वाला है उसके सपनों की नई उड़ान का ..........२८ मार्च २०१२ , हाँ सबके लिए  ये सिर्फ एक तारीख़ ही है लेकिन हमारे लिए एक बहुत ही ख़ास दिन जिसे हम हमेशा अपने ज़ेहन में रखेंगे और बेटी के लिए भी इस ब्लॉग के पन्नों में ये खासियत हमेशा सुरक्षित रहेगी....उसके स्कूल का पहला दिन...

Monday, March 26, 2012

A new world is waiting for Pankhuri Beti

Now ...only 1 day to go.......परसों यानी २८ मार्च से पंखुरी की नयी दुनिया का आग़ाज़ होगा...नयी-नयी रंग-बिरंगी स्टेशनरी और ड्रेस आ चुकी है.स्कूल बैग तैयार हो रहा है....बुक्स पर कवर चढ़ाये जा रहे हैं..बिटिया को समझ में आ चुका है स्कूल में उन्हें बहुत देर तक पापा-मम्मी-बुआ-चाचू और बाबा के बिना रहना होगा फिर उसके बाद .....

बिटिया खुद सबको बता रही हैं कि '' फिल पापा आयेंगे हमें घर ले कल   जायेंगे.''  
आज हमने सोचा है कि इससे पहले कि पंखुरी बेटी स्कूल जाना शुरू करें क्यों न हम उनकी बनाई वो सारी ड्राइंग्स आप सबसे शेयर कर डालें जो बेटी ने स्कूल जाने से पहले ही बना लीं हैं .इनमें वाटर कलर, पेन्सिल कलर , स्केच कलर इस्तेमाल किये गए है... थोड़ी बहुत मदद बुआ की और सारी इमेजिनेशन और मेहनत बेटी की....

ये पहली बार पंखुरी ने वाटर कलर यूज़ किया था ...बस यूं ही से स्ट्रोक्स लगाये  और  देखिये कुछ-कुछ  मशरूम जैसी  शक्ल बन  गयी ...है न....
सच है ..कल्पना का साथ हो तो सब संभव है :-)
ड्रा किया बुआ ने कलर किया पंखुरी ने....
ज़रा स्ट्रोक्स की सफाई तो देखिये...
इस फोटो में दिख रहे हैं बैट, बाल, साइकिल, और चोटी वाला बाबू...
( बाबू को बनाया पापा ने )



वाटर कलर से बनी सीनरी...आउट लाइन बनायीं बुआ ने...
कलर किया  बेटी ने...
रात के समय आकाश में ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार्स...और बदली
 में छुपे चंदा मामा... (ये छुपने वाला इफेक्ट तब आ गया जब बेटी वाटर कलर को इरेज़र से मिटने की कोशिश कर रही थीं...ही-ही-ही.)


मैन्गोज़ छोटे-बड़े 
पानी में पीकोंक.... कभी देखा था पहले :-D

orange घेरे में इन्सी-विंसी स्पाइडर.....दिखा क्या ???

ये पंखुरी ने बनाया है बाबू.....

है न मज़ेदार.... और हाँ सनद रहे की नन्ही पंखुरी की ये कलाकारी उनके स्कूल जाने से बहुत पहले की है !!!
:-D

Sunday, March 25, 2012

तैयारी ज़ोरों पर चल रही है...

ज्यों-ज्यों २८ मार्च का दिन करीब आ रहा है हमारी तैयारियों की स्पीड तेज़ होती जा रही है...सबसे  बड़ा टास्क है बेटी को सुबह पांच बजे जगाना ...ओह ये तो बड़ी ही बुरी है भाई ...अभी तक तो हमारी राजकुमारी जब जी चाहे सोती-जगती थीं और अब...सुबह-सुबह अलार्म की आवाज़ पर जागना होगा ...बेटी को ही नहीं घर भर को ....और प्रेक्टिस शुरू हो चुकी है... बेटी को सुबह उठा कर बाबा योग के लिए ले जा रहे हैं, फिर पापा बेटी को मोर्निंग वाक पर ले जा रहे हैं, बढ़िया बात ये है कि बेटी उठने में भले ही देर करें लेकिन उठने के बाद पूरी एनर्जी के साथ एन्जॉय कर रही हैं. 

आज हम आपसे शेयर करने जा रहे हैं बेटी की वो फ़ोटोज़ जो उन्होंने स्कूल में खिंचवाई थी ....हाँ भई स्कूल में...अपना एडमीशन करवाने पंखुरी बेटी स्कूल खुद ही गयीं न ...तभी बुआ ने .....यानी हमने.... बिटिया की कुछ प्यारी-प्यारी फ़ोटोज़ खींचीं ...आप सब से शेयर करने के लिए ...देख लीजिये आप भी कि बेटी नाम लिखे जाने से पहले ही अपने स्कूल जाकर कितना ख़ुश हुईं ............   









Monday, March 19, 2012

A new dream is waiting for PANKHURI BETI

आखिर वो दिन  ही पहुंचा है जिसका हम सबको न जाने कब से इंतज़ार था.बस कुछ ही दिन बाद ( २८ मार्च ) से नन्ही बिटिया स्कूल जाएगी . एडमिशन हो चुका है . सारी औपचारिकता धीरे-धीरे पूरी हो रही हैं ..पूरे जोश-ओ-ख़रोश के साथ.
नयी-नयी यूनिफ़ॉर्म...नया स्कूल बैग...नयी बुक्स...पेन्सिल बॉक्स...टिफिन बॉक्स...वाटर बोटल...और भी जाने क्या-क्या...
और बिटिया के उत्साह के तो कहने ही क्या...वो तो छः महीने पहले यानी ढाई साल की उमर से ही कूल जाने का इंतज़ार कर रही हैं.

अब जब ऐसा होने ही वाला है तो मन में जाने कैसे-कैसे ख़याल उमड़-घुमड़ चले आ रहे हैं.हम सबकी लाडली , घर भर को अपनी मासूम खिलखिलाहट और शरारतों से गुलज़ार रखने वाली हमारी नन्ही परी पहली बार बाहर की दुनिया से रिश्ता बनाने जा रही है ...वो पहला कदम जो बेटी को उसकी मंजिल की ओर ले जायेगा.अपनी पहली क्लास में बिटिया यूं तो पहला साल खेल-कूद में बिताएंगी ( प्ले ग्रुप जो है ) लेकिन वो उनके स्कूल का पहला साल भी तो होगा जो बिला शक बेहद महत्वपूर्ण होगा.
 सोच कर ही अजब एहसास से मन भर सा जाता है कि अब से  बिटिया  की भी अपनी दुनिया बनेगी ...उसके अपने सपनों की, उम्मीदों की, परिचितों की, दोस्तों की प्यारी सी दुनिया...वही दूसरी ओर मन ये सोच कर थोड़ा घबरा भी जाता है कि अब से हमारी नन्ही पंखुरी की जिंदगी में एक नयी चीज़ का आगमन होगा जो धीरे-धीरे उसे समझदार और परिपक्व बनता जायेगा और वो है - ज़िम्मेदारी...

ज़िम्मेदारी ....एक नए तरीके से सबकुछ समझने की. अब तक हर काम अपनी मर्ज़ी से करने करवाने की आदी  हमारी राजकुमारी को अब से एक नियम से जागना होगा-सोना होगा,पढना होगा,बिना इच्छा के भी कुछ काम निपटने होगें, अपने मन की छोड़ दूसरों के मन का करना भी सिखाना होगा....और फिर........
फिर सुच्चे मोती सी सच्ची पारदर्शी हमारी नन्ही को शायद वक्त ज़रूरत पर सच के ऊपर झूठ को तरजीह देना भी सीख ही लेना होगा...भगवान करे ये होने में बहुत साल लगें लेकिन ये तो सच है ही कि इसकी शुरुआत का वक्त वही होगा जब से वो बाहरी दुनिया के संपर्क में आएगी....

अब तक हर पल हमारी निगहबानी में ओस की बूँद सी सुरक्षित रहने वाली बेटी को घंटों हम सबकी नज़रों से दूर उन लोगों के साथ रहना भी सीखना होगा जिन्हें वो जानती-पहचानती नहीं...फिर वही से जान-पहचान के नए सिलसिले बनाने होगें.

जाने कितनी नितांत उसकी अपनी परेशानियां, संघर्ष,सवाल और चिंताएं भी उसके साथ लग लेंगी.ओह ....सोच की गति तो बेलगाम होती जाती है...मगर लगाम तो लगनी होगी...दिन पखेरू से उड़ते जाते हैं और हमें हर दिन का नए उत्साह से स्वागत करने के लिए तैयार होना ही चाहिए....

बस इतना हो कि हमें बेटी के नए सफ़र में कदम-दर -कदम उसका साथ देने की क्षमता,योग्यता, सामर्थ्य और साहस ईश्वर देता रहे....

आमीन !11