हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Thursday, June 30, 2011

Jack & Jill ... with Pankhuri & her Takbak-Takbak !!

अब भई... क्या कहा जाए . पंखुरी बेटी के साथ तो बस कमाल होते ही रहते हैं. अभी-अभी उन्होंने जैक एंड जिल वाली पोयम पढ़नी और याद करनी शुरू की और जैक एंड जिल से उनकी मुलाकात भी हो गयी. क्या कहा...यकीन नहीं आता... अरे तो खुद ही देख लीजिये और आप भी मिल लीजिये उन दोनों से....
ये रहे जैक एंड जिल ...
पहचाना.....ब्लैक कैप में जैक...रेड कैप में जिल...
... और ये रहा पंखुरी का घोड़ा... जिसका नाम है तब्बक-तब्बक (टकबक-टकबक).....,
इसे बुआ  बेटी  के  लिए  स्वदेशी  मेले  से लाई  थी....
वैसे तो बेटी इस पर अपने सिवा :-) किसी को नहीं बैठने देतीं हैं,लेकिन जैक एंड जिल को खुद सवारी करायी और खूब खुश हुईं ....
और लीजिये कुछ देर बाद ...Jack  fell  down  और घोड़े पर जिल मैडम की अकेले मौज .....!

... और मालूम है, बेटी को बाद में मालूम हुआ  कि ये दोनों यानी जैक एंड जिल तो करीब एक साल से उनके ही कमरे की ऊपर वाली रैक पर रह रहे  थे वो भी  टकबक-टकबक के एकदम बगल में ...
एल्लो.... और बेटी को अब पता चला !




पंखुरी ने मनाया बुआ का बड्डे...!

वैसे तो सब दिन एक जैसे ही होते हैं लेकिन पंखुरी बेटी की स्माइल किसी-किसी दिन को कुछ ख़ास बना ही देती है. बुआ का जन्मदिन भी ऐसा ही दिन था. ढेर सारे काम,ऑफिस और सारे दोस्त दूर-दूर... ऐसे में बुआ के पास कोई ख़ास वजह तो नहीं थी खुश होने की ,लेकिन बेटी की मनमोहनी मुस्कान ने वजह बना ही दी... और फिर बात जन्मदिन की हो तो भई ये तो तय ही है...कि पंखुरी बेटी के लिए ये ओकेज़न हमेशा सबसे विशेष होता है.
She loves to celebrate birthdays फिर चाहे वो किसी का भी हो...
और वैसे भी घर में तो केक हमेशा बेटी के नाम से , उनके लिए ही आता है चाहे जन्मदिन किसी का भी हो...तो बुआ का बड्डे-केक भी बेटी के नाम से ही आया. देख लीजिये..
यम्मी ....पाइनेप्पल तेत... ओहो आई मीन केक...


ओह...ये कैंडल है या....

.... फुलझड़ी ....

नहीं..नहीं...कैंडल तो ये है...चलो भाई ... मारो फूँक ....


गुड...और अब बारी, केक काटने की...

SMILE PLEASE !!!

Friday, June 24, 2011

पंखुरी की बातें (3)

पंखुरी बेटी बीस जून को पूरे ढाई साल की हो गयीं और पता है उसी दिन बेटी ने अपना पहला पूरा सेंटेंस (वाक्य) बोला- चाचू , तीबी नाई आ लई ऐ . (चाचू ,टीवी नहीं आ रही  है.)
है न मज़ेदार बात. अब पंखुरी की बातें और भी स्पष्ट हो रही हैं.वो नयी बातें कहना और समझाना भी सीख रही हैं.अब घर से जब कोई बाहर जाता है तो बेटी कहती है - टाटा, बाय-बाय, सी यू और फिर कहती हैं - जल्दी आना ... पहले कहती थीं आयेंगे लेकिन अब सीख लिया है कहना - जल्दी आना...

पापा जब बाथरूम में होते हैं तो पंखुरी बाहर खड़े हो कर आवाज़ देती रहती 
हैं . पहले ऐसा करते हुए कहती थीं - पापा कोल्लो...बाबू कल्ली.... (पापा खोलिए, पंखुरी खड़ी है...) लेकिन अब बात और स्पष्ट हो गयी है और बेटी कहती हैं - पापा खोलो, पंकुई खल्ली ऐ


 
पंखुरी ने आज ही एक और नया वाक्य कहना सीखा - सारे बिस्तर-तकिये-गद्दे पर उछल-उछल कर कूदना और ज़ोर-ज़ोर से कहना - मज्जा आ लहा ऐ .(मज़ा आ रहा है.) 
और हाँ ...पंखुरी बेटी आजकल घर भर की नयी अलार्म-घड़ी बन गयी हैं. इसके लिए बेटी ने पहले अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज़ के फंडे पर अमल किया मतलब रात नौ बजे तक सो जाना और सुबह पांच बजे जाग जाना ...अब जब बेटी सुबह उठती हैं तो बाबा के सिवा घर के सभी लोग सो रहे होते हैं. ऐसे में बेटी सबसे पहले बुआ के पास आती हैं और कहती हैं - बुआ उत्तोSSSS ,पंकुई जग .... (बुआ उठो, पंखुरी जग गयी है) फिर चाचू  और पापा  को जगाया जाता है, वो भी इतने  प्यार से ,कि उठने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचाता...

पंखुरी , तनु दीदी के साथ...
 एक और बहुत मज़ेदार खबर.....बुआ के बेड पर सुबह-सुबह धूप आ जाती है. खिड़की के ठीक सामने सूरज उदित होता है. जब पंखुरी बेटी बुआ के साथ सोती हैं तो इस धूप से बहुत परेशान होती हैं. फिर बुआ ने बेटी को बताया कि जैसे चंदा मामा रात में आते हैं वैसे ही सुबह सूरज चाचू आते हैं और वही अपने साथ धूप लाते हैं... बस फिर क्या था ... can you believe ? पंखुरी बेटी ने अपने आप से एक नयी कविता बना डाली - 

छूलज चाचू आयेंगे ... 
दुप्प (धूप) लायेंगे ... 
मिथाई लायेंगे ... 
कोन्ना (खिलौना) लायेंगे...!

और अब सुबह-सुबह पंखुरी धूप देख कर ये कविता गाती रहती हैं.

Thursday, June 23, 2011

जहां चार यार मिल जाएँ....

इन समर्स में पंखुरी ने खूब मस्ती की. इसकी दो वजहें थीं ...पहली तो ये कि बिटिया अब बड़ी हो रही हैं और शैतानियों की उस्ताद भी और दूसरे - इस उस्तादी में उनका भरपूर साथ देने के लिए इस बार गांधीधाम-गुजरात से सार्थक भैया और तोशी दीदी भी जो आ गए थे...इस टीम को पूरा किया बनारस में रचित भैया ने ... फिर तो जब-जब ये चारों मिले खूब धमाल हुआ... ये कुछ यादगार फ़ोटोज़ हैं इनकी आउटिंग की....

पंखुरी - तोशी दीदी - रचित भैया

... और ये आये सार्थक भैया...

... और ये चार --- `` फास्टेस्ट फ़ोर ''

... हंसी खिली धूप सी....

.... ये देखिये इनकी टीम की सबसे छोटी मेंबर...इत्ती छोटी कि बेचारी अभी गिनती से ही बाहर है..ही-ही-ही .... लेकिन वरी नॉट... अगले साल तक ये मैडम भी मम्मी की गोद से उतर कर इन चारों की टीम ज्वाइन कर लेंगी...तब कीजिये इंतजार ...!

ये बंधन तो......

प्यार का बंधन है.....क्या समझे :-)
ओये..... ये क्या ...झूले के ऊपर तोशी दीदी और .........बुआ .....!!!!  ....और पंखुरी किधर .....?

ये नीचे खड़ी सोच रही ..ऊपर कैसे पहुंचे...दोनों के पास !!
 

Just Chill out....with.....गर्मी भगाने के नायाब नुस्खे....!

आइसक्रीम खाओ....
ठंडक लाओ ......
सिप-सिप .... गुड आइडिया.....
बड़े गिलास  में मिल्कशेक...

.... और फिर भी गर्मी न भागे ....
.... तो उतर जाओ स्विमिंग पूल में दोस्तों के साथ....! 
जीहाँ ...ये हैं एकदम आजमाए हुए नुस्खे ... just try it !!!

Saturday, June 11, 2011

BReaking NEwssss !! चन्ना मामा तूऽऽऽत ..... :-)

आज पढ़िए पंखुरी Times ...की एकदम नयी, ताज़ा, exclusive ख़बर ...! चन्ना मामा तूत ओहो....हमारा मतलब ....... चंदा मामा टूट गए. अरे सचमुच ......हंसिये मत...ये एकदम सही और प्रामाणिक समाचार है... कल जब बेटी की नज़र अचानक ही रात में आसमान की ओर गयी तो उन्होंने ये अद्भुत नज़ारा देखा पहले तो खुद हैरानी ज़ाहिर की फिर सबको ये ख़बर दे डाली .......अब पंखुरी बेटी ने कहा है तो गलत होने का सवाल नहीं ....
 

आप  चाहें तो आज रात खुद ऊपर नज़र उठा कर इस ख़बर की तस्दीक कर सकते हैं .... जिन चन्ना मामा को बेटी गोल देखती थी आज उनका एक टुकड़ा गायब है... हम्म्म्म , ज़रूर कहीं शरारत कर रहें होंगे .....गिर कर चोट लगी और टूट गए. ये रही फ़ोटो भी ............ 
 

क्यों है न एकदम exclusive ख़बर ....!
:-)

Sunday, June 5, 2011

सज गयी पंखुरी की रसोई ! कहिये क्या खायेंगे आप ??

पंखुरी बेटी के खिलौनों की दुनिया में अब आ गया है एक प्यारा सा किचेन - सेट भी .इस सेट में गैस,सिलेंडर, कप,प्लेट,स्पून, ग्लास और केतली हैं. पंखुरी बेटी का सिलेंडर कभी खाली नहीं होता और गैस पर कप,प्लेट,ग्लास कुछ भी रख कर कुकिंग की जा सकती है और जो चाहे पकाया जा सकता है. चाय-रोटी-सब्जी-अंडा-चावल-मैगी ... जो भी आप खाना चाहें ....!

बेटी पूरे मन से कुकिंग करती हैं और फिर उसके बाद सबको बड़े प्यार से सर्व भी...
आप खुद ही देख लीजिये ....






तो बताइए -
आप कब आयेंगे दावत पर ...?
और क्या खायेंगे आप ... ???

 :-)

नाईं - नाईं - नाऽऽऽ ईंऽऽऽ ! आच्चे - आच्चे - आऽऽऽच्चेऽऽऽ !!

 अब पहले तो आपको इस शब्द-विन्यास का मतलब समझना होगा ...तो लीजिये हम समझाए देते हैं :-)
 नाईं - नाईं - नाऽऽऽ ईंऽऽऽ !  आच्चे - आच्चे - आऽऽऽच्चेऽऽऽ !!

इसका मतलब है 
नहीं - नहीं - नऽऽऽ हींऽऽऽ ! ऐसे - ऐसे - ऐऽऽऽसेऽऽऽ !! 

...और ये है वो इंस्ट्रक्शन, जो पंखुरी बेटी से हमें मिलता है, तब - जब हम कोई काम उनके हिसाब से न कर सकें :-)
अब शायद आप सोचेंगे कि आखिर हम बड़ों को नन्ही सी बेटी पंखुरी के इंस्ट्रक्शन के हिसाब से काम क्यों करना है भला ? इंस्ट्रक्शन की ज़रूरत तो बड़ों द्वारा बच्चों को होती है , 
क्यों ???? यही सोच रहें हैं न आप ?

...तो हम आपको लगे हाथ ये भी बता दें कि पंखुरी बेटी के साथ ये  स्थिति कभी-कभी उलट जाती है... यानि बेटी हमें इंस्ट्रक्शन देतीं हैं वो भी पूरे जोर-शोर से ...तब तक , जब तक उन्हें समझ कर काम उसी तरह न हो जाए , जैसा पंखुरी का मन है.
ऐसा अक्सर होता है तब,जब पंखुरी को किसी के साथ घूमना हो, किसी की गोद में जाना हो, किसी को अपने खेल में शामिल करना हो या किसी से अपने मन का कोई काम करवाना हो ... ! 


... और बेटी की मीठी बोली में ये निर्देश सुनना इतना अच्छा लगता है कि हम सब थोड़ी देर तक काम जान - बूझ कर उनके कहे से उलट करते रहते हैं, उन्हें परेशान करने के लिए नहीं बल्कि इनसे बार-बार सुनने के लिए - 

नाईं - नाईं - नाऽऽऽ ईंऽऽऽ !  आच्चे - आच्चे - आऽऽऽच्चेऽऽऽ !!
:-)