हमारी नन्ही परी

हमारी नन्ही परी
पंखुरी

Tuesday, March 29, 2011

our barbie with her barbie :-)

बेटी का दिल कब किस पे आ जाए कहा नही जा सकता और बात पिछ्ले सण्डे की हो तो भई वो तो चीज़ ही ऐसी थी जिस पर दुनिया के हर बच्चे खासतौर पर हर बेटी का दिल पहले से ही आया हुआ है.हम बात कर रहे हैं बार्बी गुडिया की. 
बेटी सरिता बुआ के घर पहुँचीं और खेल-कूद के दौरान उनकी नज़र पडी रैक पर रखी बार्बी पर, फिर क्या था पहले तो पंखुरी बार्बी से खेलती रहीं न जाने क्या हुआ कि बार्बी के चेहरे से अपना चेहरा सटा कर बेटी इतना खुश होने लगीं मानों उन्हें कोई बहुत बडा सरप्राइज़ मिल गया हो. बहुत प्यार, मनुहार, दुलार और चाहत भरी नज़रों से बेटी अपनी बार्बी से बात करने में इतना खो गयीं कि क्या कहें . ये प्यारा नज़ारा देख कर हमने झट अपना डिज़ी कैम निकाला और फ़ट से खींच लीं और इससे पहले पंखुरी का ध्यान बँटे..., खींच डालीं उनकी कुछ फ़ोटोज़ बार्बी के साथ.... आप भी देखिये बिटिया कैसे मशगूल हैं अपनी बार्बी  से बातें करने में !

Saturday, March 26, 2011

पंखुरी पहुँची कल्पना बुआ के घर...

होली के बाद मिलने-जुलने का सिलसिला शुरु हुआ तो बेटी को कल्पना बुआ के घर जाने का मौका मिल गया. ये बात दूसरी है कि वहाँ कल्पना बुआ नहीं मिलीं. वो प्रदीप फ़ूफा जी, रुनझुन दीदी और सार्थक भैया के साथ गाँधी-धाम,गुजरात में जो रहतीं हैं. लेकिन बेटी को वहाँ रचित भैया और नन्हीं चारवी से मिलने का सुंदर मौका मिल गया जिनसे वो बहुत दिनों से नहीं मिली थीं. वहाँ पंखुरी बेटी ने खूब अच्छा टाइम बिताया. ये रहीं वहाँ की कुछ प्यारी फ़ोटोज़...........

एक जगह जब जमा हों तीनों.............
बेटी बोलीं - पापा इसे भी घर ले चलो न....!
रचित भैया की गाडी में पंखुरी ने सैर की.........
लेकिन रचित भैया को गाडी में नहीं बैठाया... बूहू...हू... :-(

वहाँ बेटी दादी आंटी से भी मिली....
हम साथ-साथ हैं.........
कित्तीऽऽऽऽऽऽऽऽप्यारी..... नन्ही चारवी... !

Friday, March 25, 2011

पंखुरी ने मनाई होली ....

पंखुरी बेटी ने होली मनाई . जीहाँ , खूब धमाल और मस्ती से तो नहीं , क्योंकि बेटी को थोड़ा सा बुखार हो गया था लेकिन फिर भी मज़ा तो लिया ही ...! ये रहीं होली पर बेटी की फ़ोटोज़ ......

सबसे पहले होलिका वाले दिन बुआ ने बेटी को उबटन लगाया....
इस काम में तनु दीदी ने थोडी हेल्प की.....
होली वाले दिन का सबसे स्पेशल काम.... बेटी की रोली लगी नन्ही हथेलियों की छाप बुआ ने ड्राइंग की कापी पर ली...

और इस तरह हो गया बेटी की नयी-नयी ड्राइंग कापी का उद्घाटन....
चाचू रंग खेलने के बाद भूऽऽऽत बन कर घर लौटे , लेकिन बेटी ने उन्हें देखते ही पहचान लिया और चढ गयीं गोदी में......
बेटी तनु दीदी के साथ.....
शाम को बेटी ने नयी वाली ड्रेस पहनी तो एकदम बार्बी डाल सी दिखनें लगीं....आप भी देखिये...
फिर थोडी देर के लिये तनु दीदी के साथ बाहर टहलने निकलीं......
घर लौटीं तो खूब सारा अबीर-गुलाल माथे पर लगाये....


और पता है, होली बीतते-बीतते बिटिया ने क्या बोलना सीख लिया......? 
जीहाँ ये विश करना सीखा उन्होनें ..... तो लीजिये बेटी की ओर से..., उनकी ही भाषा में " एप्पी उल्ली" 

मतलब ------- " HAPPY HOLI"

Thursday, March 17, 2011

पंखुरी का बाबूबीबी...

 ओहो ... हो गए न आप सब हमेशा की तरह कन्फ्यूज़ ....कि भाई ये बाबूबीबी क्या चीज़ है ...तो लीजिये हम सबसे पहले आपको बता देते हैं कि बाबूबीबी है क्या ? 
बाबू मतलब पंखुरी बेटी  और बीबी मतलब टीवी ...आया कुछ समझ में ...! जीहाँ , बाबूबीबी का मतलब , टीवी पर वो प्रोग्राम जो बेटी को देखना है . 
हाँ बाबा ... पता है , कुछ अजीब सा तो है ये ...लेकिन क्या करें जब बेटी ने यही नाम रखा दिया है .अब टीवी चैनल्स पर बच्चों के लिए क्या प्रोग्राम आते हैं ये तो आपको पता ही है .तो बेटी के मनोरंजन और साथ ही साथ उनके लर्निंग प्रोसेस को ध्यान में रखते हुए हिंदी-इंग्लिश राइम्स की video/audio सीडी लाई गयी. हमारा ख्याल था कि बेटी को देखते-देखते,सुनने-सुनते , धीरे-धीरे रूचि आएगी और कुछ सीखेगीं भी मगर यहाँ तो अलग ही नज़ारा हुआ.एक बार देखने के बाद ही बेटी ने सीडी का नाम रखा बाबूबीबी और फिर तो उसी की रट लगा ली.
अब आलम ये है कि घर में ज़्यादातर बाबूबीबी ही चलती है.बाबा का आस्था चैनल, पापा का यूटीवी एक्शन,बुआ की न्यूज़, चाचू  का क्रिकेट वर्ल्ड कप और मम्मी का जीटीवी और कलर्स सब एक तरफ हों चुके हैं और उनकी ट्यूनिंग तभी हो पाती है  जब बेटी चाहें. इस मामले में पंखुरी बेटी आत्मनिर्भर भी हो गयी हैं. खुद जाकर डीवीडी प्लेयर को बटन पुश करके ऑन करती हैं फिर टीवी को वीडियो मोड पर सेट करने वाला बटन पुश करतीं हैं और फिर बाबूबीबी ऑन और बेटी खुश ...इसके बाद पूरे एक घंटे की सीडी ख़त्म होने के बाद ही कोई और चैनल चल सकता है.
इस पूरी प्रक्रिया में जो सबसे सुन्दर बात है वो है बेटी का लर्निंग प्रोसेस ... हर राइम के साथ नाचती-ठुमकती-क्लेपिंग करती और अपनी अस्फुट तोतली भाषा में संग-संग गाने की कोशिश करती  बिटिया को देखना सचमुच एक सुखद अनुभूति है. 
ये रही फ़ोटोज़ बेटी की बाबूबीबी की -----

 

Tuesday, March 15, 2011

Pankhuri in masti mood....... (2)

इस बार कुछ छूटी हुई बातें हम आपसे शेयर करने जा रहे हैं जो किसी वजह से अभी तक नहीं हो पाई थीं .बिटिया की मस्ती , शरारतें और भी बहुत कुछ ................

ये सारी फ़ोटोज़ महाशिवरात्रि की ......!
 पिछले सन्डे को बिटिया स्वदेशी मेला घूमने गयीं थीं . ये रहे वहाँ के कुछ नज़ारे ....